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    नौसेना में कल शामिल किया जाएगा अब तक का सबसे बड़ा ‘सर्वेक्षण पोत संध्याक’, समुद्र में सेना के लिए क्या होगा इसका महत्व?

    सर्वेक्षण पोत संध्याक शनिवार को भारतीय नौसेना में शामिल होगा। इससे रणनीतिक जलमार्गों पर नौसेना का निगरानी तंत्र को और मजबूती मिलेगी। संध्याक को चार दिसंबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। यह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता में बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत में से पहला पोत है। यह नौसैनिक अभियानों में भी शामिल होगा।

    सर्वेक्षण पोत संध्याक शनिवार को भारतीय नौसेना में शामिल होगा। इससे रणनीतिक जलमार्गों पर नौसेना का निगरानी तंत्र को और मजबूती मिलेगी। विशाखापत्तनम में आयोजित इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर मौजूद रहेंगे।

    सर्वेक्षण के लिए बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत में से है एक

    संध्याक को चार दिसंबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। यह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत में से पहला पोत है। यह पोत बंदरगाह तक पहुंचने वाले मार्गों का सर्वेक्षण करने, सुरक्षित नौवहन मार्गों का निर्धारण करने के साथ कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों में भी शामिल होगा।

    18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में है सक्षम

    दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित यह पोत 18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है। 110 मीटर लंबा, 3400 टन वजनी और 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित यह पोत आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने में भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता का प्रमाण है। यह अमृत काल के अनुरूप विकसित भारत का अग्रदूत भी है।

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