राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि साइबर हमले का मुद्दा देश के शासन ढांचे को प्रभावित करता है। नागरिक सेवाओं और सशस्त्र बलों को मिलकर इस खतरे को रोकने के लिए एक मजबूत प्रणाली बनानी होगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक सेवाओं और सशस्त्र बलों को मिलकर एक सुरक्षा प्रणाली बनाने की जरूरत है, ताकि इन हमलों को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा सिर्फ सीमाओं की रक्षा करने तक सीमित नहीं है। बल्कि अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, उर्जा और साइबर सुरक्षा जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी इसमें शामिल हैं।
मुर्मू ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के संकाय और सदस्यों को राष्ट्रपति भवन में संबोधित किया। उन्होंने कहा, इन चिंताओं का समाधान करने के लिए गहन शोध की जरूरत है और इन मुद्दों से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को अपनाना होगा। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि साइबर हमलों का सामना करने के लिए उच्च तकनीकी हस्तक्षेप और मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की जरूरत है। साथ ही प्रशिक्षित और विशेषज्ञता रखने वाला मानव संसाधन जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा, यह मुद्दा देश के शासन ढांचे को प्रभावित करता है। नागरिक सेवाओं और सशस्त्र बलों को मिलकर इस खतरे को रोकने के लिए एक मजबूत प्रणाली बनानी होगी। मुर्मू ने यह भी बताया कि शासन प्रणालियों में बड़े पैमाने पर डाटा और संवेदनशील जानकारी उपलब्ध है, जिसे असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को समझने और ठोस उपाय करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि सशस्त्र बलों की भूमिका पारंपरिक सैन्य मामलों से आगे बढ़ चुकी है और भविष्य के युद्धों के लिए एक बहु-राज्य और बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की जरूरत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न संगठन और विभाग अलग-अलग कार्य करते हैं, जिससे लक्ष्यों को हासिल करने में मुश्किलें होती हैं। उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम का मकसद अधिकारियों को सहयोग बढ़ाने और कार्यकुशलता के लिए तैयार करना है।
उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल में कई चुनौतियां हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा साइंस जैसी तकनीक के तेजी से विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की आवश्यकता है।
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