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    नोएडा अथॉरिटी ने अपनी ई-बस सर्विस के लिए तीन नामों का दिया प्रपोजल, इन इलाकों में चलेंगी

    ये इलेक्ट्रिक बसें 25 हाई डिमांड वाले रूट्स पर चलेंगी। इसमें शहर के भीतर और एयरपोर्ट संपर्क रूट शामिल हैं। दिन भर में 15-20 मिनट के अंतराल पर चलेंगी।नोएडा अथॉरिटी ने सरकार को 500 ई-बसों के फ्लीट के लिए तीन नामों के प्रपोजल दिए हैं। ये बसें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इलाकों में चलनी हैं। अथॉरिटी ने जिन नामों के प्रस्ताव दिए है, वह नाम हैं-एनजीवाई अर्बन मोबिलिटी सर्विस, जीबीएन ईजी राइड सर्विस और जीबीएन ग्रीन ट्रांसपोर्ट। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, हालांकि नाम सरकार की तरफ से पुनरिक्षित किया जाना है, लेकिन इसकी ब्रांडिंग शहरी यातायात में अपने बड़े विजन को परिलक्षित करेगा।ऑपरेटरों का हो चुका है चयन
    इस इलेक्ट्रिक बस परियोजना को तब गति मिली जब दो निजी ऑपरेटरों का चयन हो गया। एक ऑपरेटर ट्रैवल टाइम मोबिलिटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 55 रुपये प्रति किमी की दर से नौ मीटर लंबी 250 बसें चलाएगा। जबकि, दूसरा ऑपरेटर डेलबस मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड 68 रुपये प्रति किमी की दर से 12 मीटर लंबी 250 बसें चलाएगा। खबर के मुताबिक, हर बस प्रतिदिन 300 किमी तक की दूरी तय करेगी।

    हाई फ्रीक्वेंसी वाले रूट और एयरपोर्ट कनेक्टिविटी
    ये इलेक्ट्रिक बसें 25 हाई डिमांड वाले रूट्स पर चलेंगी। इसमें शहर के भीतर और एयरपोर्ट संपर्क रूट शामिल हैं। दिन भर में 15-20 मिनट के अंतराल पर ये रूट अंतिम मील कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने, भीड़भाड़ को कम करने और आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसे प्रमुख शहरी और ट्रांजिट केंद्रों की सेवा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। परियोजना के प्रबंधन के लिए, एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) का गठन किया जाएगा, जिसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरणों के अधिकारी शामिल होंगे। रजिस्टर्ड होने के बाद, एसपीवी 12 साल की अवधि में कर्मचारियों की नियुक्ति, संचालन और सेवाओं की शुरुआत का काम संभालेगा।

    फाइनेंस और स्थिरता संबंधी बातें
    ई-बस परियोजना की कुल लागत 675 करोड़ रुपये अनुमानित है। वैसे किराए और विज्ञापनों से होने वाली आय से कुल व्यय का केवल एक हिस्सा ही पूरा होने की उम्मीद है। अनुमानित वार्षिक राजस्व: 145 करोड़ रुपये और वार्षिक परिचालन लागत 370 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। वित्तीय घाटे के बावजूद, इस परियोजना से पर्यावरण के अनुकूल, विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराने और नोएडा के शहरी गतिशीलता परिदृश्य को मज़बूत करने की उम्मीद है।

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