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    इस राज्य के किसी भी थाना परिसर में मंदिर बनाने पर लगी रोक, हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

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    जबलपुर: एमपी हाई कोर्ट ने राज्य के सभी थानों के परिसरों में मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सरकार को नोटिस भी जारी किया है। इस मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने पूरी जानकारी दी। वकील ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश एस के कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने मध्यप्रदेश के थानों के परिसरों में मंदिरों के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिका पर डीजीपी और अन्य को नोटिस भी जारी किये। वहीं हाई कोर्ट के विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।

    याचिका की सुनवाई के बाद दिया फैसला

    दरअसल, एक रिटायर सरकारी कर्मी और वकील ओम प्रकाश यादव ने मध्य प्रदेश के थाना परिसरों में मंदिरों के निर्माण को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। यादव के वकील सतीश वर्मा ने पत्रकारों को इस बात की जानकारी दी। वकील शतीश वर्मा ने दलील दी कि जिन खुली जगहों पर इन मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है वह सार्वजिनक स्थल हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक ढांचों के निर्माण पर रोक लगा दी गयी है।

    पेश की गई ये दलील

    वकील सतीश वर्मा का कहना है कि ऐसे में मध्य प्रदेश में थाना परिसरों में मंदिरों का यह निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए कुछ थानों में मंदिर पहले ही बनाये जा चुके हैं। सतीश वर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के साथ कुछ तस्वीरें भी संलग्न की हैं, जिनके बारे में उन्होंने कहा है कि कुछ थानों के अंदर मंदिर बनाए गए हैं।

    थाना परिसरों में नहीं बनेंगे धार्मिक स्थल

    बता दें कि आम तौर पर कई थानों में मंदिर बने हुए दिख जाते हैं। हालांकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक ढांचों के निर्माण पर रोक लगा दी थी। इसी आदेश का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने किसी भी थाने में धार्मिक स्थल (मंदिर) बनाने पर रोक लगा दी है।

    सोना ₹79,000 के पार, एक दिन में 936 रुपए बढ़ा:चांदी में भी करीब ₹500 की तेजी, यह 98,340 रुपए किलो बिक रही

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    धनतेरस पर ऑल टाइम हाई बनाने के बाद छोटी दिवाली पर गोल्ड ने नया हाई बनाया है। आज यानी बुधवार (30 अक्टूबर) को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत कल के दाम से 936 रुपए बढ़कर 79,681 रुपए पर पहुंच गया है। कल सोने की कीमत 78,745 रुपए थी।

    वहीं, चांदी की कीमत में भी 467 रुपए की तेजी है और यह 98,340 रुपए प्रति किलो की कीमत पर पहुंच गई है। इससे पहले चांदी 97,873 रुपए पर थी। इसी महीने 23 अक्टूबर को चांदी ने 99,151 रुपए का ऑल टाइम हाई बनाया था।
    4 महानगरों और भोपाल में सोने की कीमत

    दिल्ली : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 74,550 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 81,310 रुपए है।
    मुंबई : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 74,440 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 81,160 रुपए है।
    कोलकाता : 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 74,440 रुपए और 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 81,160 रुपए है।
    चेन्नई : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 74,440 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 81,160 रुपए है।
    भोपाल : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 74,450 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 81,210 रुपए है।
    अगले धनतेरस तक 87 हजार तक जा सकता है सोना
    HDFC सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार, जियोपॉलिटिकल टेंशन और फस्टिव सीजन शुरू होने से सोने को सपोर्ट मिल रहा है। इससे आने वाले दिनों में सोने-चांदी में बढ़त देखने को मिल सकती है। अगले घनतेरस तक सोना 87 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है।

    सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें
    हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।
    कल यानी 29 अक्टूबर को धनतेरस था। इस दिन सोने में निवेश शुभ माना जाता है। HDFC सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार सोना अगले धनतेरस तक 87 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है।

    ऐसे में अगर आप सोने में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो ये सही समय हो सकता है। आज धनतेरस के अवसर पर हम आपको सोने में निवेश के 4 तरीकों के बारे में बता रहे हैं। खास बात ये है कि आप 1 रुपए से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।

    दोबारा सुलगी पुरानी पेंशन की चिंगारी, सरकारी कर्मियों को मंजूर नहीं UPS, 17 नवंबर को दिल्ली में होगी बड़ी

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    एनपीएस में सुधार कर लाई गई ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) से केंद्र सरकारी के कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। अभी तक यूपीएस का गजट भी जारी नहीं हुआ है, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने विरोध का बिगुल बजा दिया है। ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने बताया, 17 नवंबर को नई दिल्ली में ओपीएस बहाली के लिए पेंशन जयघोष महारैली आयोजित की जाएगी। रैली की तैयारियों के मद्देनजर, पटेल ने कई राज्यों का दौरा किया है। उनका दावा है कि जंतर मंतर पर होने वाली रैली में केंद्र एवं विभिन्न प्रदेशों की सरकारों के कर्मचारी शिरकत करेंगे। पटेल ने बताया, हमारा फोकस नाम पर नहीं है, बल्कि ओपीएस की आत्मा पर है। सरकार से मांग है कि पेंशन की गणना 25 वर्ष के स्थान पर 20 वर्ष हो और कर्मचारी के अंशदान पर जीपीएफ की मान्यता रहे, ताकि वह कर्मचारी को पूरा वापस मिल जाए।

    इस विरोध प्रदर्शन की कड़ी में सबसे पहले ‘एनएमओपीएस’ द्वारा 26 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के सदस्यों ने दो अक्तूबर को प्रतिज्ञा ली है कि जब तक वे गैर-अंशदायी ‘पुरानी पेंशन’ योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन भी यूपीएस के विरोध में खड़े हो गए हैं। एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना था, कर्मचारियों ने यूपीएस के खिलाफ अपने आंदोलन को दोबारा से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। अंशदायी पेंशन योजना, ‘यूपीएस’ का पुरजोर विरोध किया जाएगा। पिछले 20 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी, अंशदायी पेंशन योजना के खिलाफ लड़ रहे हैं।
    उनकी मांग, गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल कराना है। सरकारी कर्मचारियों के पास अब यही विकल्प बचा है कि वे यूपीएस में शामिल हों या एनपीएस में बने रहें।
    बतौर श्रीकुमार, यूपीएस कुछ नहीं है, बल्कि एनपीएस का विस्तार है। राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस को खारिज कर दिया है। कई राज्यों में रैलियां और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। वे यूपीएस को स्वीकार नहीं कर सकते। वजह, यह एक अंशदायी प्रकृति की योजना है। कर्मचारियों की संचित निधि, जिसमें उन्होंने 3 दशकों से अधिक समय तक योगदान दिया है, उसे वापस नहीं लौटाया जाएगा। भले ही पेंशन की पात्रता 25 साल रखी गई है, लेकिन कर्मचारियों को पेंशन 60 साल की उम्र के बाद ही मिलेगी। पुरानी पेंशन योजना में मिलने वाले कई लाभ एनपीएस/यूपीएस में नहीं मिलते हैं। इससे कर्मियों को आर्थिक नुक़सान हुआ है।

    गांधी जयंती दिवस पर एआईडीईएफ के प्रत्येक सदस्य ने शपथ ली है कि वे, एक रक्षा नागरिक कर्मचारी, विनाशकारी एनपीएस और यूपीएस अंशदायी पेंशन योजना से मुक्त होने के लिए सभी संघर्षों और आंदोलनों में शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गैर अंशदायी पेंशन प्राप्त करने के लिए सभी ट्रेड यूनियन एक्शन कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं और उनमें भाग लेंगे। कर्मचारियों ने प्रतिज्ञा की है कि वे जब तक गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। सभी सरकारी कर्मचारियों की इस वास्तविक और उचित मांग को वास्तविकता में बदलने के लिए वे सब एक हैं। इस बाबत दूसरे कर्मचारी संगठनों से भी चर्चा हो रही है।

    नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने बताया, 20 वर्ष की नौकरी के बाद 50 प्रतिशत पेंशन का आधार सुनिश्चित हो, कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित यानी जीपीएफ की तरह वापसी और वीआरएस/अनिवार्य सेवानिवृत्ति/सेवानिवृत्ति पर संपूर्ण राशि की वापसी, सरकार को ये मांगें माननी ही पड़ेंगी। 17 नवंबर की रैली में देशभर से लाखों कर्मचारी भाग लेंगे। इनमें दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, असम, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, चंडीगढ़ और महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन भी शामिल हैं।

    पटेल ने कहा, हमने पहले भी रणनीतिक रूप से सरकार को कदम दर कदम, एनपीएस पर झुकाया है। केंद्र सरकार को एनपीएस पर पीछे हटना पड़ा है। अब पुरानी पेंशन के मामले में कर्मचारियों की दो महत्वपूर्ण डिमांड बची हैं। पहली है पेंशन की गणना 25 वर्ष के स्थान पर 20 वर्ष हो और दूसरी, कर्मचारी के अंशदान पर जीपीएफ की मान्यता रहे, ताकि वह कर्मियों पूरा वापस मिल जाए। ये दोनों मुद्दे, इस बार 17 नवंबर की रैली के बाद हल हो जाएंगे। पेंशन तो हम हुबहू पुरानी ही लेकर रहेंगे। बस उसका नाम ओपीएस नहीं होगा। बतौर पटेल, नाम तो पहले भी ओपीएस नहीं था। नाम कुछ भी हो सकता है, हमारा फोकस नाम पर नहीं है, बल्कि ओपीएस की आत्मा पर है। कर्मचारियों का सरकार के लिए सुझाव है, नाम चाहे कुछ भी रख लो, लेकिन उन्हें ओपीएस के सभी प्रावधानों का फायदा दे।

    सीएम डॉ. मोहन यादव बोले- प्रदेश को समृद्ध और गौरवशाली बनाने का कार्य कर रही सरकार

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    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लालपरेड ग्राउंड में ध्वजारोहण कर मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस समारोह का उदघाटन किया। सीएम ने कहा कि दीपोत्सव और राज्योत्सव की एक साथ शुरुआत हो रही है।
    मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर भोपाल के लालपरेड मैदान में राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि दीपोत्सव का उत्सव चल रहा है और इसी के साथ राज्य का स्थापना दिवस भी मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार मध्य प्रदेश को समृद्ध बनाने के साथ-साथ राज्य का गौरव बढ़ाने का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की आठ करोड़ जनता देवतुल्य है और राज्य सरकार चार दिवसीय विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से स्थापना दिवस को मना रही है। उन्होंने प्रदेश के पौराणिक स्थलों का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में 11 वर्ष बिताए और भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की, जिससे यह धरती धन्य हुई है। डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री देश की सीमाओं को सुरक्षित रख रहे हैं और भारत को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने विंध्य, सतपुड़ा, मालवा, और निमाड़ की अनोखी पहचान का भी जिक्र किया और कहा कि ये क्षेत्र मध्यप्रदेश को देश-दुनिया में अलग पहचान देने का कार्य कर रहे हैं।
    धर्म और अध्यात्म की त्रिवेणी बहती है इस धरती पर
    मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म और अध्यात्म की त्रिवेणी सतपुड़ा की इस धरती पर बहती है, जिससे मध्यप्रदेश गर्व से सिर ऊंचा किए हुए अपनी अलग पहचान बनाता है। यहां की लोक कला, जनजातियां, और मालवा का गौरवशाली इतिहास हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। हमारे राज्य के लोग राजा विक्रमादित्य के साहस और राजा भोज की ऐतिहासिक उपलब्धियों से परिचित हैं। भगवान श्रीराम ने यहाँ अपने 11 वर्षों का वनवास बिताया, जिससे हमारे इतिहास में और भी गौरव का अध्याय जुड़ता है। आज चित्रकूट धाम पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता है। गुप्त गोदावरी से मंदाकिनी तक बहती इन धाराओं की प्रत्येक लहर हमारे इतिहास के गौरव की कहानी कहती है।
    सीएम ने प्रदेश की उपलब्धियां गिनाई
    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश अपनी अनगिनत विशेषताओं को अपने में समेटे हुए है। यह प्रदेश न केवल देश का ‘फूड बॉस्केट’ है बल्कि सोयाबीन उत्पादन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। बिजली उत्पादन में अग्रणी होने के साथ ही यहां बाघों की मौजूदगी भी हमारा गौरव है। अब हमारे पास ‘चीता स्टेट’ का नया सम्मान भी जुड़ गया है। इंदौर लगातार 7 वर्षों से देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है, और भोपाल को सबसे स्वच्छ राजधानी का दर्जा मिला है। हमें 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड भी प्राप्त हो चुका है, जो हमारी कृषि में उत्कृष्टता का प्रमाण है।

    आर्मी बैंड ने सुमधुर धुनों की प्रस्तुति दी
    समारोह में मध्यप्रदेश के राज्य स्तरीय खेल मलखंब का प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सेना द्वारा लगाए गए टैंक और अन्य सैन्य एवं युद्ध उपकरणों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। आर्मी बैंड ने सुमधुर धुनों की प्रस्तुति दी, जिससे सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कथक नृत्य के माध्यम से गणेश वंदना की प्रस्तुति सहित अन्य लोकनृत्यों ने दर्शकों को मोहित किया। इस अवसर पर मंत्री कृष्णा गौर, सांसद आलोक शर्मा, महापौर मालती राय, विधायक भगवानदास सबनानी, विधायक रामेश्वर शर्मा, मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना, सीएम के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा और प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला सहित कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मौजूद रहे।

    साल में पांच दिन नोटों से सजने वाला देश का इकलौता मंदिर, भक्तों के गहनों से सजती हैं मां लक्ष्मी

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    मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में स्थित महालक्ष्मी का एक अनोखा और प्राचीन मंदिर है, जो पूरे साल में पांच दिनों के लिए खास रूप में सजता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तों द्वारा लाए गए गहनों और नोटों से मां लक्ष्मी का शृंगार किया जाता है, जो कि देशभर में अपनी तरह का इकलौता आयोजन है।
    मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में स्थित महालक्ष्मी का एक अनोखा और प्राचीन मंदिर है, जो पूरे साल में केवल पांच दिनों के लिए खास महत्व रखता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तों द्वारा लाए गए गहनों और नोटों से मां लक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है, जो कि देशभर में अपनी तरह का इकलौता आयोजन है। पांच दिनों तक नोटों-गहनों से सजा मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र होता है। दीवाली के दौरान मां लक्ष्मी के दर्शन और उनकी विशेष साज-सज्जा को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
    पांच दिनों के लिए सजता है मंदिर
    महालक्ष्मी का यह मंदिर यूं तो सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है, पर दिवाली पर खासतौर पर पांच दिनों के लिए सजता है, और खुला रहता है। नोटों से सजावट के बाद धनतेरस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में खोला जाता है और गोवर्धन पूजा के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान भक्त मां लक्ष्मी के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
    अनोखा शृंगार: गहनों और नोटों से सजीं मां लक्ष्मी
    यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां मां लक्ष्मी का श्रृंगार भक्तों द्वारा लाए गए गहनों और नोटों से किया जाता है। इस अनोखी परंपरा में पिछले कई वर्षों से कभी कोई गहना गायब नहीं हुआ, जो भक्तों के बीच एक गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। मंदिर में मां लक्ष्मी की मूर्ति को पांच हाथियों पर विराजमान दिखाया गया है, और उनके साथ भगवान गणेश तथा मां सरस्वती की प्रतिमाएं भी हैं।
    करोड़ों के आभूषणों से सजता है मंदिर
    दीपावली के मौके पर इस मंदिर में फूलों की जगह नोटों की गड्डियों और आभूषणों से सजावट की जाती है। आभूषणों और नोटों की इस भव्य सजावट का दृश्य देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। माना जाता है कि यहां सजने वाले आभूषणों और नोटों की कुल कीमत करोड़ों में होती है, जो भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
    प्रसाद के रूप में आभूषण और पैसे
    दीपावली से पहले भक्त अपने गहने और नोट मंदिर में जमा कराते हैं और इसके बदले उन्हें एक टोकन दिया जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन, भक्त अपने टोकन के आधार पर अपने गहने और पैसे प्रसाद के रूप में प्राप्त करते हैं। इस प्रसाद को भक्त अपने घर में समृद्धि का प्रतीक मानकर संभाल कर रखते हैं। महिलाओं को प्रसाद स्वरूप श्रीयंत्र, सिक्के, कौड़ियां, अक्षत, और कंकू युक्त कुबेर पोटली दी जाती है, जिन्हें घर में शुभ माना जाता है।
    हफ्तेभर पहले से शुरू होती है भव्य सजावट
    महालक्ष्मी मंदिर में सजावट की तैयारी दीपावली से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती है। इस बार भी शरद पूर्णिमा से ही भक्त गहने और नोट लेकर आने लगे थे। ऐसी मान्यता है कि जिनके गहनों का इस्तेमाल मां लक्ष्मी के श्रृंगार में होता है, उनके घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। मंदिर की सुरक्षा के लिए चार गार्ड और सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। मंदिर के पास स्थित माणक चौक पुलिस थाना में भी 24 घंटे फोर्स तैनात रहती है। इस तरह रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर अपनी विशिष्ट परंपराओं और भव्य साज-सज्जा के कारण देशभर में प्रसिद्ध है, जहां भक्तों की श्रद्धा और आस्था एक अद्वितीय रूप में मां लक्ष्मी के प्रति व्यक्त होती है।

    मोहन सरकार ने दिया दिवाली गिफ्ट, बढ़ाया महंगाई भत्ता, जानें कब खाते में आएगी बढ़ी सैलरी

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    भोपाल. दिवाली से पहले मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार के प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है. राज्य सरकार ने महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ा दिया है. इसके बाद डीए 46 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो गई है. मालूम हो कि नई दरें जनवरी 2024 से लागू हो जाएंगी. अब ऐसे में जनवरी से लेकर सितंबर तक का एरियर भी कर्मचारियों को मिलेगा. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी अधिकारी और कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाने का फैसला लिया है. मेरी अपनी ओर से सभी को बधाई. उन्होंने कहा कि इसकी बधाई डबल तब हो जाती है जब दीपावली भी है और इस अवसर पर मध्य प्रदेश स्थापना दिवस का कार्यक्रम भी है.
    मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने बताया कि राज्य शासन ने 46 फीसदी महंगाई भत्ता वित्त विभाग के प्रतिपत्र से स्वीकृत किया है. इसके आधार पर स्वीकृति महंगाई भत्ते की दर एक जुलाई 2023 से प्रभावशील की गई थी. एरियर राशि का भुगतान किस्तों में किया गया. अब सभी शासकीय सेवकों को 1 जनवरी 2024 से महंगाई भत्ता 50 फीसदी की दर से दिया जाएगा. अभी अक्टूबर चल रहा है, लेकिन हम इसे 1 जनवरी से देंगे.
    सीएम मोहन यादव ने की अपील

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपील करते हुए कहा कि हम सभी दिवाली के अवसर पर अपना ध्यान रखें और अपने आसपास के लोगों का भी ध्यान रखें. गरीब से गरीब आदमी के आंखों में भी आनंद आए.
    उन्होंने कहा कि 1 नवंबर के गठन की पहली तारीख, जो 1956 में एक नए प्रदेश का आकार साकार लेकर आई. इसके मध्य में हम सब अपनी-अपनी दिनचर्या चलाते हुए देश की सेवा, मध्य प्रदेश की सेवा, समान रूप से आगे बढ़ती जाए, इस भाव के आधार पर हम काम करते रहते हैं.
    सीएम ने कहा कि सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई देना चाहूंगा. आप सब अपने लगन, मेहनत, सकारात्मक सोच के कारण से पूरे देश के अधिकारियों -कर्मचारियों में एक विशेष पहचान रखते हैं. इस नाते से सरकार का भी उत्तरदायित्व है कि आपके हितों का भी ध्यान रखें.

    पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट मेंचल रही तीखी बहस,पूछा- ‘तो आपने अफसरों पर मुकदमा क्यों नहीं किया’

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    दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच मामले पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से पूछा कि आपने क्या एक्शन लिया है.जस्टिस अभय ओक ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिस्टम नहीं बनाया. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम शक्तिहीन हो चुका है. धारा 15 में संशोधन करके दंड की जगह जुर्माना लगा दिया है, और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार ने कहा कि दस दिनों के भीतर सेक्शन 15 (जुर्माने से लेकर 5 साल की सजा का  प्रावधान) लागू कर दिया जाएगा. प्रदूषण के मामले पर अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी. सभी पक्षों को अगली सुनवाई से पहले हलफनामा दाखिल करना है.
    जस्टिस ओक ने क्या कहा?

    पर्यावरण संरक्षण अधिनियम अब शक्तिहीन हो चुका है.
    ⁠सजा की जगह मामूली जुर्माना लगा दिया गया है.
    राज्य के अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
    एश्वर्या भाटी का जवाब
    ने दोनों राज्यों के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है
    पंजाब और हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि को नोटिस जारी किया गया हैसुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
    नियम आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देते हैं
    आपको उन पर मुकदमा चलाना चाहिए वरना कुछ नहीं होगा
    ‘किन धाराओं में केस दर्ज हुआ, हमें पता है’
    ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब- हरियाणा ने पराली जलने की घटना को कम करने के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं. इस पर अदालत ने कहा कि हम जानते है कि किन धाराओं में FIR दर्ज हुई है. क्या कोई भी मामले को लेकर गंभीर हैं.

    रीवा में 5वीं रीजनल इंडस्ट्री कांन्क्लेव आज, CM बोले- विकास में नया कीर्तिमान बनाएगा विंध्य

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    मध्य प्रदेश के रीवा में आज 5वीं रीजनल इंडस्ट्री कांन्क्लेव है. इस आयोजन से पहले सीएम मोहन यादव ने कहा कि विंध्य विकास में नया कीर्तिमान बनाएगा
    मध्य प्रदेश के रीवा में आज बुधवार को पांचवी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन हो रहा है. इस आयोजन से पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे बड़ा अवसर बताते हुए कहा कि यह कॉन्क्लेव सबसे सफल होगी.  सीएम ने कहा कि अभी तक मप्र में 2.45 लाख करोड़ का निवेश मिला. तीन लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं
    नया कीर्तिमान बनाएगा
    मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा प्रदेश सरकार अपने गठन के साथ ही लगातार मध्यप्रदेश के औद्योगिक निवेश और रोजगार की दिशा में लगातार युवाओं को अवसर मिले, हमारे हर युवा के हाथ में काम मिले इसलिए सभी सेक्टर में समान रूप से काम कर रहे हैं. खासकर हमारे आईटी का सेक्टर या एमएसएमई उद्योग का सेक्टर हो, हेवी इंडस्ट्री से लेकर फूड इंडस्ट्री तक सभी क्षेत्रों में लगातार रोजगार निवेश के अभियान में हम लगे हैं. मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि रीवा महत्वपूर्ण अंचल है, जो विंध्य और बुंदेलखंड को जोड़ते हुए विकास के लिए एक नया कीर्तिमान बनाएगा
    ये भी पढ़ें लापरवाही पड़ी भारी! नपा CMO और डीपीसी सस्पेंड, कमिश्नर ने जारी किए आदेश
    भूमिपूजन और लोकार्पण भी होगा
    डॉ. यादव ने कहा कि आज रीवा में पांचवीं रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित हो रही है. इस अवसर पर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों की कई इंडस्ट्री के भूमि पूजन और लोकार्पण के काम भी करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार के साथ हम विकास के इस क्रम को लगातार जारी रखेंगे

    मध्य प्रदेश में इंडी अलायंस में फूट, सपा ने कांग्रेस के खिलाफ इस विधानसभा सीट से उतारा अपना उम्मीदवार

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    एमपी में दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने गठबंधन धर्म के तहत कांग्रेस से दो में से एक सीट मांगी थी लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ कई दौर की चर्चा के बाद भी कांग्रेस की तरफ से कोई सहमति नहीं बनी।
    मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की फूट सामने आ गई है। मध्य प्रदेश के बुधनी और विजयपुर विधानसभा में 13 नवंबर को चुनाव होने जा रहे हैं। जिसमें कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे से खाली हुई बुधनी विधानसभा सीट के उपचुनाव में राजकुमार पटेल को तो वहीं, विजयपुर सीट से मुकेश मल्होत्रा को चुनावी मैदान में उतारा है।
    उपचुनाव वाले दोनों सीटों पर कांग्रेस ने उतारे अपने उम्मीदवार
    इन्हीं दो सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित करने से समाजवादी पार्टी नाराज है। दरअसल, समाजवादी पार्टी ने दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में से कांग्रेस से एक सीट मांगी थी। इन सीटों पर प्रत्याशी के चयन के लिए बाकायदा मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, सज्जन वर्मा, अरुण यादव समेत समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव भी मौजूद रहे। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को आश्वस्त किया था कि पार्टी आला कमान से बातचीत के बाद वह अपना निर्णय बताएंगे लेकिन कांग्रेस ने बिना समाजवादी पार्टी को भरोसे में लिए, दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी 24 घंटे के अंदर बुधनी सीट से अपना प्रत्याशी उतार कर कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया। इस सीट से समाजवादी पार्टी ने एक दिन पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए अर्जुन राय को अपना प्रत्याशी बनाया है।

    सपा ने एक सीट पर मांगा था टिकट लेकिन वो भी नहीं हो पाया कांग्रेस से
    दरअसल, किसान नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले अर्जुन राय कांग्रेस में प्रदेश सचिव रहे हैं और लंबे समय से विधानसभा चुनाव में टिकट मांग रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। अर्जुन राय 2018 में भी समाजवादी पार्टी में थे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारती ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा की अर्जुन आर्य ने 14 अक्टूबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात कर पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई। जिसके बाद उन्हें पार्टी में शामिल किया गया। यश ने यह भी कहा कि कई दौर की बातचीत के बावजूद कांग्रेस ने दो में से एक सीट गठबंधन धर्म के तहत उन्हें नहीं दी। यश भारती ने कहा कांग्रेस अपनी हार से सबक नहीं लेती है चाहे हार हरियाणा की हो या 2023 की मध्य प्रदेश चुनावों की। कांग्रेस ऐसी पार्टी है जो सहयोगियों से सहयोग नहीं लेना चाहती और सहयोग देना भी नहीं चाहती है।

    हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में भी बनेंगे अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर के लिए स्थायी आश्रम, CM मोहन यादव का ऐलान

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    सिहंस्थ 2028 को लेकर प्रेस वार्ता में मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन की पहचान साधु संतों से है। हरिद्वार में जिस प्रकार साधु -संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार विकास के क्रम को जारी रखते हुए उज्जैन में भी साधु संतों के स्थायी आश्रम बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
    मध्य प्रदेश के उज्जैन में सिहंस्थ का आयोजन 2028 में होना है, लेकिन इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है। इसके साथ ही सीएम मोहन यादव ने ऐलान कर दिया है कि हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में भी साधु-संतो, महंत,अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर आदि महात्माओं के लिए स्थायी आश्रम बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा “उज्जैन सहित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है। समान रूप से विकास से सभी की खुशहाली के द्वार खुलेंगे। सभी देव स्थानों के आसपास हमारे धर्माचार्य आ पाएं यह हमारी प्राथमिकता है।
    सिहंस्थ 2028 को लेकर प्रेस वार्ता में मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन की पहचान साधु संतों से है। 12 वर्षों में एक बार आयोजित होने वाले सिहंस्थ का आयोजन अब 2028 में है। साधु संतों को उज्जैन में आने, ठहरने, कथा, भागवत इत्यादि अन्य आयोजन के लिए पर्याप्त रूप से भूमि भू खंड की आवश्यकता पड़ती है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार साधु -संतों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाए जाने की योजना बनाई गई हैं। निजी होटलों में साधु संतों और श्रद्धालुओं को इस प्रकार के आयोजनों के लिए चुनौतियां आती हैं। महंगा भी पड़ता है।

    हरिद्वार की तर्ज पर बनेंगे स्थायी आश्रम
    मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु -संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार विकास के क्रम को जारी रखते हुए उज्जैन में भी साधु संतों के स्थायी आश्रम बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से इस बड़ी योजना को आकार दिया जाएगा। सभी साधु-संतो, महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर सभी को आमंत्रित कर उनके स्थायी आश्रम बनाने की दिशा में काम करेंगे। सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए सड़क, बिजली, पेयजल, जल निकासी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्थाई अधोसंरचना का निर्माण किया जाएगा। ताकि अस्थाई निर्माण से होने वाली समस्याएं निर्मित ना हो।

    धार्मिक शहर के रूप में विकसित होगा उज्जैन
    हरिद्वार की तरह उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए सभी जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार की गई है। सभी प्रकार के फोरलेन, सिक्सलेन ब्रिज आदि स्थायी अधोसंरचना विकास के कार्य किए जाएंगे। सभी मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ साधु -संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य समानांतर रूप से किए जाएंगे। समाज के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन कार्य को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

    पार्किंग के लिए भी भरपूर जगह
    मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि साधु -संतों को आश्रम निर्माण के लिए अनुमति इस प्रकार दी जाएगी कि पांच बीघा के एक बीघा भूखंड पर ही भवन का निर्माण किया जा सकेगा। शेष चार बीघा भूखंड खुला रहेगा, जिसमें पार्किंग आदि व्यवस्थाओं के लिए पर्याप्त खुला स्थान रहे। यह अनुमति केवल साधु-संतों ,महंत ,अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर को ही दी जाएगी। व्यक्तिगत और कमर्शियल उपयोग के लिए इस प्रकार की अनुमति नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि महाकाल महालोक बनने के बाद से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। निरंतर यहां धार्मिक आयोजनों का क्रम जारी रहता है। ऐसे में यह योजना धर्मावलंबियों के लिए बड़ी लाभकारी सिद्ध होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना तैयार की गई है।

    इंदौर-उज्जैन मेट्रो को मिली मंजूरी
    मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि इंदौर-उज्जैन मेट्रो ट्रेन के संचालन की सैद्धांतिक स्वीकृति भी दे दी गई है। इसी के साथ उज्जैन, देवास, फतेहाबाद, इंदौर को जोड़ते हुए सर्किल वंदे मेट्रो ट्रेन का भी संचालन किया जाएगा। जिसकी गति मेट्रो ट्रेन की तुलना में अधिक होगी। रेल रूट के साथ उज्जैन के सभी मार्गों का भी सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। उज्जैन से निकलने वाले सभी मार्ग फोरलेन किए जाएंगे। वर्तमान एयरस्ट्रिप का भी उन्नयन कर टेक्निकल रूप से एयरपोर्ट बनाया जायेगा। ताकि 12 महीने हवाई यातायात सुविधा भी उज्जैन को मिल सके।